Mahakal Mandir/ महाकाल मंदिर,उज्जैन

महाकाल मंदिर उज्जैन

यह मान्यता है की महाकाल के मंदिर के सामने से कोई भी व्यक्ति घोड़ा पर बैठकर नहीं जा सकता  यहां तक कि दूल्हा भी नहीं जो भी व्यक्ति ऐसा करता है वह मृत्यु को प्राप्त होता है या पागल हो जाता है क्योंकि उज्जैन का सिर्फ एक ही राजा है और वह है हमारे प्रिय महाकाल


भस्म आरती

कहा जाता है की एक बार विक्रमादित्य इस मंदिर के सामने से घोड़े पर बैठकर गए थे तब से उन्हें बहुत सारी समस्या का सामना करना पड़ा यह बात उन्हें 7 साल बाद समझ में आई तो उन्होंने महाकाल में 
आकर माफी मांगी और फिर सब कुछ सही हुआ तब से उन्होंने यह निर्देश दिए कि महाकाल मंदिर के सामने से कोई भी घोड़े पर बैठकर नहीं जाएगा

महाकाल एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर महाकाल की आरती चिता की भस्म से की जाती है यह आरती बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जिसे भस्मारती कहते हैं

महाकाल में जो शिवलिंग है वह स्वयं ही प्रकट हुई थी इसलिए इसे स्वयंभु भी कहते हैं

महाकाल मंदिर में पांच तल है जिसकी तीसरे तल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर है। जो सिर्फ साल में एक बार खुलता है। वह भी नाग पंचमी के दिन

 
महाकाल के मंदिर में जो शिवलिंग है वह दक्षिण मुखी शिवलिंग है

महाकाल की आरती के समय यहां महिलाओं को घुंघट करना पड़ता है महिलाओं को भस्म आरती देखने की इजाजत नहीं है

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