वामपंथी इतिहासकार लिखते हैं कि अकबर एक बहुत महान शासक था .. ?
यह बात कुछ हद तक सही भी है परन्तु था तो वो भी मुग़ल ही अतः उसने भी हिन्दू मंदिरो को दुद्वया तथा उनसे अपर सम्पति भी लूटी, अकबर ने मीणा बाजार तथा हरम जैसे जगहों पर हिन्दू राजाओ की रानीओ को रखा करता था.
परन्तु हम इस बात को नकार नहीं सकते की अकबर सर्व धर्मो का सम्मान करता था.
यह बात कुछ हद तक सही भी है परन्तु था तो वो भी मुग़ल ही अतः उसने भी हिन्दू मंदिरो को दुद्वया तथा उनसे अपर सम्पति भी लूटी, अकबर ने मीणा बाजार तथा हरम जैसे जगहों पर हिन्दू राजाओ की रानीओ को रखा करता था.
इस हिन्दू-नारीहंता अकबर का सबसे खतरनाक एक सेनानायक हुआ.. नाम - बहलोल खां !
कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका .., और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं ! ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार दे, बशर्ते वो हिन्दू हो ! एक भी अकबरी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल !
अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से !
कहा जाता है कि हाथी जैसा बदन था इसका .., और ताक़त का जोर इतना कि नसें फटने को होती थीं ! ज़ालिम इतना कि तीन दिन के बालक को भी गला रेत-रेत के मार दे, बशर्ते वो हिन्दू हो ! एक भी अकबरी लड़ाई कभी हारा नहीं था अपने पूरे करियर में ये बहलोल !
अब इसी बहलोल खां को अकबर ने भिड़ा दिया हिन्दू-वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप से !
लड़ाई पूरे जोर पर.., और मुगलई गंद खा-खा के ताक़त का पहाड़ बने बहलोल का आमना-सामना हो गया प्रताप से !
पोस्त और अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं .. .. ओर जबरदस्त भिडंत शुरू !
कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ.., और फिर गुस्से में आ के अपना वजनी
पोस्त और अफीम के ख़ुमार में डूबी हुई सुर्ख नशेड़ी आँखों से भगवा अग्नि की लपट सी प्रदीप्त रण के मद में डूबी आँखें टकराईं .. .. ओर जबरदस्त भिडंत शुरू !
कुछ देर तक तो राणा यूँ ही मज़ाक सा खेलते रहे मुगलिया बिलाव के साथ.., और फिर गुस्से में आ के अपना वजनी
का भाला उठाया और उसकी नाभि में घुसा कर.. घुसे हुए ही भाले को ऊपर की और उठा कर नाभि से गर्दन तक का.., हाथी सरीखे उस नर का पूरा धड़ बिलकुल सीधी लकीर में चीर दिया ! ऐसा फाड़ा कि चिरे हुए धड़ के बीच में से झाँक कर जेहादी की पीठ पीछे का युद्ध-भूमि का पूरा मंजर खिड़की सा दिखने लगा !
ऐसे-ऐसे युद्ध-रत्न उगले हैं सदियों से भगवा चुनरी ओढ़े रण में तांडव रचने वाली मां भारती ने !
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