महाभारत युद्ध का मैदान कहाँ है?

                                महाभारत युद्ध का मैदान कहाँ है?


        वह कुरुक्षेत्र है। और कुरुक्षेत्र हरियाणा में है। परन्तु गीता में श्री कृष्ण ने स्वयं बताया है कि ये युद्ध स्थल              क्या  है।
उन्होंने कहा है

                                      इदं     शरीरं   कौन्तेय   क्षेत्रमित्यभिधीयते।

                        एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः।।13.2।।


यह शरीर एक क्षेत्र है और इसको जो भली प्रकार जानता है, वह क्षेत्रज्ञ है। वह उसमें फँसा नहीं है बल्कि उसका संचालक है। ऐसा उस तत्त्व को विदित करनेवाले महापुरुषों ने कहा है।
इस शरीर के क्षेत्र में जो 5 पुण्यमयी जाति है वह पांडव है। उनमें
युधिस्ठिर का अर्थ है धर्म
भीम का अर्थ है भाव।
अर्जुन का अर्थ है अनुराग।
नकुल अर्थात नियम
और सहदेव अर्थात सत्संग।
ये 5 पांडव इस शरीर मे निवास करते है और कौरवो से युद्ध करते है।
           अब कौरव कोन है?
दुर्योधन- मोह
भीष्म- भ्रम
द्रोण- द्वेत।
आदि।
इन दोनों पक्षो में जब युद्ध होता है तो अर्जुन का धनुष इन सबको खत्म कर देता है।
अब यहा धनुष का अर्थ है- ध्यान।
अर्जुन का धनुष यानी कि अनुरागी व्यक्ति जब ध्यान करता है तो मोह रूपी दुर्योधन की सेना परास्त होती है।
अर्जुन के धनुष से ही भीष्म का वध होता है।
इसका अर्थ है कि अनुरागी व्यक्ति के ध्यान से ही भ्रम का अंत होता है। परन्तु यह अंत तक जीवित रहता है। बाण पर सोया रहता है। पूरा युद्ध देखता है। फिर चला जाता है।
भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान है। अर्थात भ्रम के पास इच्छा मृत्यु का वरदान है। अर्थात जब व्यक्ति की इच्छा की मृत्यु हो जाती है, सारी इच्छाएं नष्ट हो जाती है तो भ्रम अपने आप खत्म हो जाता है। परन्तु इसको घायल करने के लिए ध्यान रूपी धनुष की आवश्यकता होती है।
धन्यवाद।

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