क्या महाभारत देखना और सुनना अशुभ होता है?


लोग कह रहे हैं कि महाभारत घर में नहीं रखनी चाहिए और देखनी भी नहीं चाहिए !!
ये लोग कहाँ से आते हैं भाई ??
कौन लोग हैं यह ??
पूछने पर बताते हैं कि इससे घर में लड़ाई हो जाएगी और यह घर के लिए शुभ नहीं होता ।
ओह्ह !!!!!
मतलब जब वेदव्यास जी ने महाभारत लिखी होगी तो वेदव्यास जी की सभी लोगों से लड़ाई हो गयी होगी ??
गीता प्रेस या कोई भी प्रेस या publisher जब इसको छाप रहा होगा या लिख रहा होगा तब सब आपस में लड़ कट कर मर गए होंगे ??
वह पुस्तक की दुकान , वह डाकिया जहाँ जहाँ पुस्तक गयी होगी , सब लड़ कट कर मर गए होंगे ???
अरे मुझे यह बताईये कि "महाभारत" शब्द में कहाँ से आपको लड़ाई झगड़ा वाला अर्थ नज़र आया ?? अगर किसी के कान से पस भी बह रहा होगा या किसी को मोतियाबिंद भी हो गया होगा वह भी महाभारत शब्द सुन या देख कर यह नहीं कह सकता कि इसका भाव लड़ाई झगड़ा निकल रहा है !!
अरे महाभारत का क्या अर्थ है ??
महाभारत - महान या विशाल + भारत या आर्यावर्त ।
इसमें किसने लड़ाई झगड़ा खोज लिया ???
इसका अर्थ है उस महान या विशाल भारत की कहानी ।
ये पता नहीं क्यों मूर्ख लोग यह शब्द प्रयोग करने लगे कि "मैं महाभारत करवा दूँगा , या महाभारत हो जाएगी"
अगर हो भी जाएगी तो अच्छी बात है मतलब यह भारतवर्ष फिर महान बन जायेगा ।
लोगों ने क्यों इस शब्द का प्रचलन किया यह समझ के बाहर है ।
महाभारत तो बड़ी अच्छी पुस्तक है । यह नीति , ज्ञान , धर्म , कर्म , कर्तव्य , अकर्तव्य के विषय में कितनी अच्छी शिक्षा देता है ।
बल्कि यह पुस्तक तो जानबूझ कर रखनी चाहिए कि हमारे घर से अधर्म का नाश होगा और धर्म की स्थापना होगी।
कुछ लोग वह अर्जुन को गीता का उवदेश करते भगवान कृष्ण वाली फ़ोटो भी नहीं लगाते कि यह अपशकुन होता है।
अरे अपशकुन तो तुम्हारी बुद्धि बन गयी है जो उस चरित्र और उस घटना की साक्षी को अपने घर में नहीं लगा रहे जो अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना के लिए हुई थी ।
भगवान कृष्ण ने तो यही करवाया था न ?
सभी अधर्मियों को मरवा दिया था और धर्म की स्थापना की ।
तो फिर इससे क्यों डरना ??
अरे सर्वश्रेष्ठ गीता ज्ञान जिसके सामने पूरा विश्व नतमस्तक है , इसी से मिला है । विदुर नीति जैसी महान नीति की शिक्षा इसी से मिली है ।
भगवान की विभिन्न लीलाओं का वर्णन इसी में हैं । और जिसमें भगवान की लीलाओं और उनके जन का वर्णन हो , उसको तो शास्त्र सर्वोपरि संज्ञा देते हैं ।
ऐसे तो देखा जाय , रामायण में भी भगवान ने बचपन से ही हज़ारों राक्षसों का वध किया । रावण जैसे दुरात्मा का अंत करने के लिए लाखों की सेना बनी और लाखों लोग युद्ध के ग्रास बने ।
यही रामायण है जिसमें राज्यतिलक से एक दिन पहले ही चौदह वर्ष का वनवास हो जाता है । राम सीता वन को भेज दिए जाते हैं , लक्ष्मण जी उर्मिला से अलग , भरत मांडवी से अलग , शत्रुघ्न श्रुतिकीर्ति से अलग , दशरथ की तड़प तड़प कर पुत्र वियोग में मौत , तीनों रानियों का विधवा होना , श्रवण कुमार की मौत , लक्ष्मण जी को शक्ति लगना , नागपाश में बंधना , सीता जी का हरण होना , सीता जी की अग्निपरीक्षा ,सीता जी का वनवास , सीता जी के पुत्रों का वन में ही जन्म देना , उन दोनों का तो वैवाहिक जीवन जैसे उथल पुथल में रहा ।
फिर तो रामायण या रामचरित्रमानस भी नहीं रखनी चाहिए घर में ??
क्योंकि इससे दाम्पत्य जीवन खराब होगा या कोई तुम्हारी स्त्री को उठा ले जाएगा और हो सकता है तुम्हारे बच्चे भी वन में ही जन्म लें ।
अरे कोई भी अपने इतिहास को उठा लो , सब में धर्म की स्थापना के लिए लड़ाईयाँ हुई हैं तभी वह आज स्थायित्व या स्वीकार्यता में है ।
अगर संघर्ष या लड़ाईयाँ नहीं होंगी तो वह कथा ही नहीं बनती या उसको ऐतिहासिक पटल पर मान ही नहीं मिलता ।
किसी की भी कथा या story उठा लो , सब में संघर्ष या लड़ाई है ।।हरिश्चन्द्र , नल दमयंती , सती सावित्री , ध्रुव , प्रह्लाद इत्यादि कोई भी नाम ले लो , सब में संघर्ष व लड़ाई है ।
अच्छा सब छोड़ो ।
दुर्गा सप्तशती होगी सबके घर में ???
उससे विभत्स कोई लड़ाई हो तो मुझे यही आकर बता देना ।
पूरी सप्तशती तो एकमात्र लड़ाई पर ही based है ।
फिर ???
वह भी घर में है ना ???
और नवरात्रि के वक़्त सभी पाठ करते होंगे , तो क्या लड़ाई हुई सबसे ???
कभी तो तर्क से सोच लिया करो ।
यह लड़ाई झगड़े कोई पुस्तक नहीं करवाती ,एकमात्र व्यक्ति की सोच , नज़रिया और उसका आचरण करवाती है ।
शिव पुराण , विष्णुपुराण , देवी पुराण इत्यादि सबमें धर्म की स्थापना के लिए असुरों का संहार किया गया है । लेकिन सबके घर मे होती है यह ।
भगवान शंकर का रूप देखिये , काल भी थर्रा जाय , लेकिन सबके घर में हैं भगवान ।
कोई भी देवी देवता का चित्र उठा लें ,सबके हाथों में गदा, धनुष , चक्र , तलवार से लेकर तमाम तरह के अस्त्र शस्त्र हैं , तो क्या आपके घर में सबकी हत्या हो गयी ???
इसलिए फालतू के प्रपंचों को छोड़कर सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करिये ताकि अपनी और अपने शास्त्र या धर्म की हँसी उड़ने से बचे ।
धन्यवाद :-

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