महाभारत का सबसे दिल दहला देने वाला क्षण!
शिव जी- पार्वती, आज पृथ्वी पर एक बहुत बड़ी घटना घटने वाली है। और उस घटना के सब देवता साक्षी बनना चाहते हैं।
ये जो घटना देखने को मिलेगी वो बहुत पुण्य अर्जित करने पर भी कभी कभी ही मिलती है।
आज स्वयं ईश्वर कुरुक्षेत्र की धरती पर उस महा ज्ञान को बरसाने वाले हैं जिसको ग्रहण करने मात्र से ही मनुष्य महामहिम की स्थिति पा लेगा। आज स्वयं वे श्री कृष्ण अपने खुद के मुख से गीता का ज्ञान उच्चारण करने वाले हैं इसलिए सभी देवी देवता, और स्वर्ग के राजा इंद्र सभी वहां उस ज्ञान को सुनने के लिए भाग रहे हैं। पूरे ब्रह्मांड में हलचल हो रही है, सूर्य भी स्तब्ध हो कर आज इस ज्ञान को ग्रहण करेगा।
हे देवी, आज जो मानव इतिहास में होने वाला है वह शायद ही कभी आगे होगा जहां स्वयं परमात्मा गीता का उपदेश दें।
उधर तीनो लोकों मे यह बात पहुँच गयी तो बहुत से देवी देवता वहां पहुँच गए। वे सब आज इस गीता के उपदेश को व्याकुल हैं।मानव के परमकल्याण के लिए आज धरती पर एक ऐसा अस्त्र जा रहा है जो युगों युगों तक पढने योग्य है। इसीलिए हे देवी, आज में भी उस ज्ञान को ग्रहण करने के लिए अपनी समाधि से बाहर आ गया।
और इस प्रकार से श्री कृष्ण का गीत उपदेश चालू हुआ था।
ब्रह्म जागे, विष्णु जागे, त्रिभुवन में कौतूहल जागा।
चारों दिशा सचेत हुई, धरती पर ध्यान सभी का भागा।
गीता के महा ज्ञान श्रवण को, शिव ने ध्यान समाधि से त्यागा।
(इस घटना को मैं जब भी सोचता हूँ मेरे अंदर एक अलग ही उत्साह छा जाता है।)
तस्वीर- गूगल से ली गयी।
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